तब राधा कृष्ण का विवाह संपन्न हुआ
गर्ग संहिता के अनुसार मथुरा के पास स्थित भांडीर वन में भगवान श्री कृष्ण और देवी राधा का विवाह हुआ था। इस संदर्भ में कथा है कि एक बार नंदराय जी बालक श्री कृष्ण को लेकर भांडीर वन से गुजर रहे थे। उसे समय आचानक देवी राधा प्रकट हुई। देवी राधा के दर्शन पाकर नंदराय जी ने श्री कृष्ण को राधा जी की गोद में दे दिया।
श्री कृष्ण बाल रूप त्यागकर किशोर बन गए। तभी ब्रह्मा जी भी वहां उपस्थित हुए। ब्रह्मा जी ने कृष्ण का विवाह राधा से करवा दिया। कुछ समय तक कृष्ण राधा के संग इसी वन में रहे। फिर देवी राधा ने कृष्ण को उनके बाल रूप में नंदराय जी को सौंप दिया।
श्री कृष्ण बाल रूप त्यागकर किशोर बन गए। तभी ब्रह्मा जी भी वहां उपस्थित हुए। ब्रह्मा जी ने कृष्ण का विवाह राधा से करवा दिया। कुछ समय तक कृष्ण राधा के संग इसी वन में रहे। फिर देवी राधा ने कृष्ण को उनके बाल रूप में नंदराय जी को सौंप दिया।
राधा जी की मांग में सिंदूर
भांडीर वन में श्री राधा जी और भगवान श्री कृष्ण का मंदिर बना हुआ है। इस मंदिर में स्थित विग्रह अपने आप अनोखा है क्योंकि यह अकेला ऐसा विग्रह है जिसमें श्री कृष्ण भगवान राधा जी की मांग में सिंदूर भरते हुए दृश्य हैं।
यहां सोमवती अमावस्या के अवसर पर मेला लगता है। किवदंती है कि भांडीर वन के भांडीर कूप में से हर सोमवती अमावस्या के दिन दूध की धारा निकलती है। मान्यता है कि इस अवसर पर यहां स्नान पूजा करने से निःसंतान दंपत्ति को संतान सुख मिलता है।
यहां सोमवती अमावस्या के अवसर पर मेला लगता है। किवदंती है कि भांडीर वन के भांडीर कूप में से हर सोमवती अमावस्या के दिन दूध की धारा निकलती है। मान्यता है कि इस अवसर पर यहां स्नान पूजा करने से निःसंतान दंपत्ति को संतान सुख मिलता है।
No comments:
Post a Comment