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Saturday, 30 August 2014

यह सुनकर माता पार्वती के मन में कौतूहल हुआ, उन्होंने शनिदेव से कहा कि आप मेरे बालक की तरफ देखिए। वैसे भी कर्मफल के भोग को कौन बदल सकता है। तब शनि ने बालक के सुंदर मुख की तरफ देखा और बालक का मस्तक उसके शरीर से अलग हो गया।

माता पार्वती विलाप करने लगी। यह देखकर वहां उपस्थित सभी देवता, देवियां, गंधर्व और शिव आश्चर्यचकित रह गए। देवताओं की प्रार्थना पर श्रीहरि गरुड़ पर सवार होकर उत्तर दिशा की और गए और वहां से एक हाथी का सिर लेकर आए। सिर बालक के धड़ पर रखकर उसे जोड़ दिया। तब से भगवान गणेश का सिर हाथी रूपी हो गया। 

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